Monday, December 28, 2015

क्या भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दिया प्रधान मंत्री को धोखा?

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नीरज महाजन एंव कुलदीप षर्मा द्वारा
क्या राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही असलियत छुपाकर लुका छुपी खेल रहा है?
5 नवम्बर 2015 को एनएचएआई ने बड़े पैमाने पर काफी धूमधाम के साथ प्रधानमंत्री को गहरे गड्ढों और गति अवरोध से भरे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के शिलान्यास के लिए आमंत्रित किया । किसी काल्पना की उड़ान के समान ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे देरी और अत्यधिक लागत के कारण केवल फाईलों में ही बंद हैं।
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उच्च गति या तेज रफतार से यातायात का चलना मुमकिन करने वाला यह एक्सप्रेसवे खुद कागजों में नौ साल से भी अधिक विलंभ से चल रहा है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे- लाल फीताषाही, भूमि अधिग्रहण संबधी विवाद एंव पर्यावरण सबंधी विष्यों के कारण ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। यू ंतो पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे मघ्यम गति से घिसट रहा है ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का तो फाइलों केे अलावा नामोनिषान भी नहीं है।
सबसे बडे र्दुभाग्य का विष्य तो यह है कि एनएचएआई के पास 135 किलोमीटर लंबे प्रस्ताविक ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनाने के लिए जमीन का कतरा या बेचने के लिए किसानों की अनुमति भी नहीं है। यह सब एक मजाक नही ंतो और क्या है?
आज स्थिति यह हैं, कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के शुरु से अंत तक किसी भी छोर पर कोई वास्तविक सड़क निर्माण गतिविधि दिखाई नहीं दे रही। केवल भगवान ही जानता है कि यह एक्सप्रेसवे सुबह का सूरज देखेगा भी़़़़– तो कब? अभी तक ना तो सम्पूर्ण भूमि का अधिग्रहण हुआ है ना ही और भूमि के असली मालिक छोटे और मध्यवर्गीय किसान अपनी पैतृक सम्पति का कब्जा छोडने के मूड में नहीं नजर आ रहे हैं।
दुहाई गांव के पूर्व प्रधान करतार सिंह के अनुसार – आप प्रधानमंत्री को अपने पड़ोसी के घर पर खाने के लिए आमंत्रित नहीं करते हैं – जब तक उसकी सहमति या आपके पास उस जगह का भौतिक कब्जा ना हो। अभी तक ना तो भूमि का उचित मूल्य तय हुआ ना ही उसका भुगतान या क्रय विक्रय हुआ। करतार सिंह आज भी उस परिसर का बिजली का बिल चुकाते हैं जिसपर एनएचएआई उनकी अनुमति के बिना राजस्व रिकॉर्ड में अपना मालिकाना हक होने का दावा करता है।
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आज है- कल हो ना हो
मोदीनगर निवासी पवन शर्मा के अनुसार इस परियोजना की सबसें बडी खामी यह हेै कि.. किसानों को मुआवजे का भुगतान बहुत कम है जो पूरी तरह से असंतोषजनक है। पवन शर्मा 2006 से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को इस विष्य पर कई आवेदन दे चुके हैं।
पवन शर्मा ने ताजाखबर न्यूज को बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास कुंडली से पलवल यानि प्रस्ताविक ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के षुरु से अंत तक भूमि पर एक इंच का भी वास्तविक कब्जा नहीं है। ना ही जमीन पर कोई काम शुरू किया गया है। बस केवल संबधित जिलों के जिलाधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व रिकॉर्ड में एनएचएआई का वैकल्पिक कब्जा दिखा दिया गया है। यह सब वास्तविक मालिक की अनुमति या एनओसी के बगैर किया गया है जो कि कानून का उल्लंघन और पूरी तरह से अवैध तरीका है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्धारा प्रधानमंत्री के नाम का इस प्रकार गल्त इस्तेमाल- महज एक खिलवाड या धोखाधड़ी के बराबर है। प्रधानमंत्री द्धारा समय से पहले आधे अघूरे राजमार्ग का उद्घाटन करवाकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पूरे किस्से को एक तमाशा या पब्लिक रिलेषन सटंट बना कर रख दिया है जो सरासर आपतिजनक है। प्रधानमंत्री के साथ सबंध का गल्त प्रदर्षन कर एनएचएआई सिर्फ ये सार्वजनिक तौर पर दर्षाना चाहता है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी भी इस आघी अघूरी परियोजना के पीछे अपना ऐडी चोटी का जोर लगा रहे हंै – क्या यही हकिकत है?ै
जो किसान अभी तक एनएचएआई को कब्जा देने को तैयार नहीं हैं उन्हें अपना बेशकीमती स्वामित्व छोडने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण प्रधानमंत्री मोदी के नाम का दुरपयोग कर ब्लैकमेल करना चाहता है। मुआवजे को लेकर एनएचएआई के पास कोई स्थाई फार्मूला या विकल्प नहीं है। एनएचएआई केवल अलग अलग लोगों को उनकी हैसियत, रसूक या सौदेबाजी की शक्ति के आधार पर अलग-अलग दरों से मुआवजे की पेशकश करता आया है। ऐसी परिस्थिति में हारता केवल छोटा या मध्यम स्तर का किसान है जिसके पास अपने विवाद या पक्ष की पैरवी करने का आवश्यक सौदेबाजी कौशल या उच्चतम स्तर पर जान पहचान नहीं होती।
पवन शर्मा के अनुसार सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि- गरीब किसानों के पास सरकार के खिलाफ देर तक लड़ने का सामर्थ, ऊर्जा या रुझान नहीं होता।
गौरतलब है कि 2014 में ग्रेटर नोएडा केे धूम मानिकपुर नामक एक ही जिले में भूमि अधिग्रहण करते वक्त किसानों की पहली मुष्त कोे 1740 रुपये प्रति वर्ग मीटर दिये गए जिसे बाद में 3000 रुपये प्रति वर्ग मीटर और अंत में अधिक प्रभावषाली अमृत स्टील को 5500 रुपये प्रति वर्ग मीटर पेश किये गए। इस आधार पर कीमतों में वृद्धि को देखते हुऐ 2015 में सभी किसानों को किस दर से मुआवजा मिलना चाहिए?
प्रधानमंत्री कार्यालय का इस तरह नाजायज दुरुपयोग किसानों और उद्योगपतियों को ब्लैकमेल कर उनसे उनके भू खण्ड का स्वामित्व छुडवाने के लिए धोखाधड़ी के बराबर है।
अब मुझे कोई परवाह नहीं – मेरे सब्र का बांध टूट चुका है। मैं काफी थक गया हूँ। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा मेरे कॉलेज ध्वस्त हो जाऐंगे पर मुझे पर्याप्त मुआवजा तो मिलेगा ही- यह कहना है राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ पिछले करीब आठ साल से घमासान लडाई लड़ रहे – एक टूटे हारे महेंद्र अग्रवाल का। महेंद्र अग्रवाल सुन्दरदीप गंु्रप नामक षैैक्षिक संस्थाओं के अध्यक्ष और इंजीनियरिंग, फार्मा, पोषण और आर्किटेक्चर के क्ष्ेात्र में 11 कॉलेजों के मालिक है।
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सुन्दरदीप समूह की संस्थाऐं – बस बुलडोजर का इंतजार है
मुआवजा पाकर महेंद्र अग्रवाल की तो कई पुष्ते खुश और तृप्त हो जाऐगी लेकिन उनके कॉलेजों में विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिल करीब 5000 छात्रों का क्या होगा? मुझे तो हर हाल में मेरे पैसे मिल जाऐंगे पर मैं कॉलेजों में पांच साल के पाठ्यक्रम में दूसरे वर्ष में पढ रहे उन तमाम छात्रों को क्या जवाब दूंगा कि क्यों अचानक कॉलेज ध्वस्त कर दिये गये और उनकी पढाई अध्ूूारी छूट गई। महेंद्र अग्रवाल के पास इय सवाल का कोई जवाब नही।
मुद्दा यह नहीं है कि क्या सुन्दरदीप, आईडियल इंजीनियरिंग कॉलेज, हिंडन रिवर मिल्स या सर छोटू राम इंटर कॉलेज जैसे संस्थानों पर बुलडोजर चलना चाहिए बल्कि क्या प्रधानमंत्री के नाम पर किसानों को सर्कल रेट या न्यूनतम सरकारी दर से नीचे अपनी भूमि बेचने के लिए विवष किया जाना उचित है? क्या एक ही भूमि को खरीदते या बेचते समय सरकार द्वारा दो अलग-अलग दरें तय करना न्यायोचित है?
क्या राष्ट्र्रीय राजमार्ग बनाने का उदेष्य लोगों को बसाने और उनके जीवन की गुणवत्ता सुधारने कि बजाय – उनके बसे बसाये घरों या संस्थानों को उखाडना व उनके बच्चों के जीवन और भविष्य को अस्त वस्त करना है?
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कानून के दायरे में सिर पर एक छत के नीचें शांति से रहने या व्यवसाय करने को -भारत के संविधान और अन्य अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशनों में एक बुनियादी मानव अधिकार माना गया है।
एनएचएआई ने तो गलत काम किया ही है एक आधे अधूरे राजमार्ग का प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन करवाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भी जिम्मेवार है।
अनुभवी राजनीतिक टीकाकार विजय संघवी, के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के लिए सहमती देने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को सुनिष्चित करना चाहिए था कि प्रधानमंत्री द्वारा जिस राजमार्ग का उद्घाटन होने जा रहा है उसके जल्द बनने की संभावना है भी या नही। साफ तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपना होमवर्क नहीं किया।
वैसे भी, क्या फर्क पड़ता है एनएचएआई जो सड़कें बनाता है वो टिकती ही कितने मौसम हैं?े राजमार्ग नही -वो केवल दुर्घटना का द्वार होती हैं।

Saturday, December 26, 2015

Did NHAI ‘bluff’ the PM?


Did the National Highway Authority of India (NHAI) play a hide and seek game with the Prime Minister of India Narendra Modi?

Amidst much fanfare the NHAI invited the Prime Minister to lay the foundation stone of the non-existent Eastern Peripheral Expressway and Western Peripheral Expressways pockmarked with potholes and speed-breakers in the form of massive delays and project cost overruns on Nov 5, 2015.

The access controlled high-speed Expressway is more than nine years late. The Eastern Peripheral Expressway is lying in abeyance for the past five years due to controversies related to land acquisition, environmental clearances, and rates. While the Western Expressway project managed to see the light of the day, the Eastern Expressway project still exists only in files.

The worst part of the joke is that NHAI does not own the entire lands along the 135-km long stretch where the Eastern Expressway is supposed to be built.

As things stand today, no actual road building activity has started at the beginning or end of the expressway. God alone knows when the Expressway will see the light of the day, if at all. The entire stretch of land has not even been acquired, and the small and marginal farmers owning the land along the way are in no mood to part with their only ancestral possession.

“You don’t invite the Prime Minister to come and have dinner in a neighbor’s house — that you don’t own and that too without his consent”, says Kartar Singh former Pradhan of Duhai who still holds physical possession of the land and pays electricity bills on the premises which the NHAI claims to own.

“The basic drawback with the project is that the compensation paid to the farmers is totally unsatisfactory… it is very less.”, says Pawan Sharma a Modinagar based builder who has been making many representations to NHAI since 2006.

“NHAI does not have physical possession of even an inch of land from Kundli to Palwal. No work has started on the ground. They have just changed the status of possession in the revenue records by influencing the DMs. Even while doing so they have not taken NoC from the actual owner. This is a clear violation of the law. It is entirely illegal”, he adds.

Clearly all this amounts to a significant fraud being played with the Prime Minister. The NHAI’s move to make the PM inaugurate the highway was nothing but a tamasha or public relations exercise to show that the PM himself is lending his weight behind the project.

In reality, the NHAI wants to blackmail farmers who are not yet ready to part with their prized ownership to give up possession to NHAI. NHAI has no fixed compensation rate and has been offering different rates to different people depending on their “inside connections” or bargaining power. The loser, in any case, is the small and marginal farmer who does not have the required bargaining skills or proxy representation at the highest levels.

“The problem is that the poor farmers don’t have the time energy or inclination to fight against the government and give up fight midway,” says Pavan Sharma.

A case in point is Dhoom Manikpur in Greater Noida where the first set of farmers were paid Rs 1740/sq meter, and the next lot got Rs 3000 per sqm while Amrit Steel owned by the more influential group were offered Rs 5500 per sqm for their land in the same district in 2014. If this trend is to continue, what rate should the remaining set of farmers should be paid in 2015 considering the cost escalation and rise in prices of everything?

All this amounts to fraud as the good office of the Prime Minister is being misused to blackmail farmers and industrialists to part with their land.

“I have had enough. I am sick and tired now. I don’t care if my colleges are demolished because I will, in any case, get enough compensation that will last many generations”, says a broken Mahendra Aggarwal, Chairman, Sunderdeep Group of Institutions who has been fighting a pitched battle with the NHAI for the last around eight years. The Sunderdeep Group incidentally owns 11 colleges offering courses like Engineering, Pharma, Nutrition and Architecture.



Mahendra Aggarwal is happy to get the compensation but what will happen to the fate of the 5000 odd students who have enrolled in various courses in his colleges. ”I will, in any case, get my money but what answer will I give to a student in the second year of a five-year course why the college was suddenly demolished and raised to the ground? He asks.

The issue is not whether institutions like Sunderdeep, Ideal Engineering College, Hindon River Mills or Sir Chotu Ram Inter-college should be bulldozed and raised to the ground or not but should the PM’s name be misused to force people to give up possession of their land well below the circle rate or the lowest government rate? Can there be two different rates fixed by the government for acquiring or selling land?

This defeats the whole purpose as highways are supposed to be built to settle people and improve their quality of life- not to uproot and unsettle their lives and the future of their children.

A roof over the head and the right to live peacefully within the confines one’s home and to carry out one’s business or profession within the ambit of law is a fundamental human right guaranteed by the Constitution of India and other International Conventions.

NHAI cannot disown responsibility for this misconduct on its part, but the Prime Minister’s office also cannot absolve itself of the responsibility of allowing the PM to inaugurate something that does not exist on the ground.

“The PMO too should have done their homework to verify whether what the PM was going to inaugurate was likely to take off soon or was just a blind man’s bluff,” remarked Vijay Sanghvi, a seasoned political commentator.

Anyway, what difference does it make as the roads NHAI builds don’t last many seasons? They are “killer ways” not highways?

Friday, December 18, 2015

IP-COM brings perfect solution for your IP-Camera and WLAN deployments


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Saturday, December 5, 2015

One of the fastest growing brands in China, IP-Com is now eying the Indian Market


IP-COM the global leader in manufacturing and supplying Commercial networking products and solution announced expansion into the burgeoning Indian market.  IP-COM offers complete end to end WLAN Networking Solutions & Equipment for SMB’s and Commercial Establishments. IP-COM ‘s product are best suited to provide solutions to industries such as Hospitality, Real Estate, Hot Spot zones, Corporations, Educational Institutions, Hospitals and Airport.

The company had recently appointed Redington as an exclusive distributor for its entire product portfolio and is looking for an aggressive growth plan IP-COM CEO Mr Boat Quan had visited second time in last 8 months and had few closed meeting with Indian IP-COM customers and partners to take the stock of the strategy and policies IP-COM India is setting up to support its partners and benefit their customers.  Mr Quan said “India is our focused and key markets and we are committed to ensure high quality product, healthy and channel friendly strategy”

In the first phase IP-COM will strategically focus on partner training program in which IP-COM Value Added Distributors across the country going to get trained and then the selected SI’s of the region  training would be in three parts sales training, presales training and hands on the technical training. For this IP-COM has pulled in three Sr Product Managers directly from IP-COM Head Quarters to provide specialised training and educating the SIs and VADs through various training programs across the country.

IP-COM has already marked its presence in all the major Tier -1 and Tier -2 cities by appointing Value Added Distributors across the region. It is also in sync with Indian Prime Minister’s vision of Digital India, Make in India, and Smart City concepts.

“We are expanding and in this process we are committed to appoint local sales and support team as we move forward as well as we are planning to expand our channel-base by appointing mid-sized and small SIs. Identification of SIs will be a joint effort along with Redington and regional VAD, which has presence across the country and has large community of partners spread across Indian cities ranging from small resellers to SI’s, We also welcome all interested partners to join hands with IP-COM” said, Mr. Pinaki Chatterjee, Director Sales India and SAARC IP-COM Networks.
Bruce Zhou, Global Sales Director IP-COM Networks said, “IP-COM is ready to address the needs of the Indian market and support our partner/channel eco system to align with us on the steep growth curve that we have envisaged”.


From its inception in 2007, IP-COM has been recognized as one of the fastest growing brands in China and globally and nominated as one of the TOP 10 potential IP Networking Brands in China and has won unparalleled recognition in others parts of the world too. IP-COM has demonstrated a quick growth in the Chinese domestic market as well as the overseas markets by expanding in India and SAARC, USA, Germany, Canada, Venezuela, Brazil, South Africa, United Kingdom, Poland, Russia, Kazakhstan, Thailand, Indonesia and Australia.

IP-COM will use Redington’s wide reach to sell the complete range of networking and products across India. The tie-up with Redington as an exclusive distributor is a step towards broadening company's reach across the nation and maintain healthy channel strategy, particularly focusing on mid-sized System Integrators and verticals like Hospitality, Education, Real Estate and Corporates
IP-COM’s core business concept is to coordinate and acquire customers for building up high-speed, secure, low maintenance, cost effective Wi-Fi network. Based on different application environments IP-COM could provide specific and varied solutions with its numerous product lines. All these solutions have features of artistic installation, unified management and intelligent QoS. 

About IP-COM


IP-COM has been a market player for the last 15 years and has emerged as a strong OEM manufacturer for networking products. For the last eight years IP-COM has been growing steadily and has been awarded as the top 10 most popular brands in China. IP-COM stands second in IDC as per status and positioning. IP-COM has three R&Ds located in US and China with 1000+ highly trained engineers. All IP-COM products are designed in US and made in China in self-owned factories with more than 3000 highly qualified workforce. 90% or more of IP-COM products are designed based on Broadcom Chipset to ensure high quality and stability of the product. IP-COM wishes to achieve the greatest height in the SMB WLAN space. IP-COM has founded 7 overseas branches and has planned to enter into the Indian subcontinent to become one of the prominent and preferred SMB/SME WLAN brand at this region. For more information please visit http://www.ip-com.com.cn/en/

https://taazakhabarnews.com/ip-com-expands-its-footprints-in-indian-market/